November 26, 2024

बहुमत नहीं मिला तो क्या करेगी बीजेपी, अमित शाह ने बताया प्लान B

लोकसभा चुनाव 2024 में जैसे-जैसे मतदान की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रही है. राजनीतिक दलों के दावे और भी मजबूत होते जा रहे हैं. सत्ता पक्ष जहां 400 पार के आंकड़े को दोहरा रहा है वहीं विरोधी भी कहने लगे हैं चार चरण के बाद उनकी सरकार बनना तय है. हालांकि होगा क्या इसका फैसला तो 4 जून को ही सामने आएगा. इस बीच भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृह मंत्री ने अमित शाह (Amit Shah) ने साफ चुनाव में बीजेपी (BJP) की स्थिति को लेकर अपनी बात कही है. उन्होंने न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कई मुद्दों पर खुलकर जवाब दिए हैं. खास तौर पर उन्होंने इस सवाल का जवाब भी दिया अगर चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला तो प्लान बी क्या होगा?

बीजेपी 4 जून को 272 पार नहीं कर पाई तो क्या होगा?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब पूछा गया कि अगर भारतीय जनता पार्टी इस बार चुनावी नतीजों में 272 का आंकड़ा पार नहीं कर पाती है जो जादुई आंकड़ा भी कहा जाता है तो क्या होगा. उन्होंने कहा, “मुझे ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही है.  60 करोड़ लाभार्थियों की एक सेना पीएम मोदी के साथ खड़ी है, उनकी कोई जाति या आयु समूह नहीं है…जिन्हें ये सभी लाभ मिले हैं, वे जानते हैं कि नरेंद्र मोदी क्या हैं और क्यों 400 देना चाहिए”

क्या है बीजेपी का प्लान बी
अगर बीजेपी को बहुमत नहीं मिला तो क्या कोई प्लान बी है. इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा कि, प्लान बी उस स्थिति में बनाया जाता है कि जब आपको लगे कि आपका प्लान ए सफल होने के महज 60 फीसदी ही चांस हैं. लेकिन हमारी स्थिति ऐसी नहीं है. मुझे यकीन है कि पीएम मोदी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आएंगे.

केजरीवाल पर भी खुलकर बोले शाह
केजरीवाल ने उस बयान पर भी अमित शाह ने जवाब दिया जिसमें उन्होंने कहा कि अगर जनता मुझे वोट देगी तो मुझे जेल नहीं जाना होगा. शाह ने कहा कि उन्होंने इस तरह के बयान से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है. उन्होंने कहा कि क्या देश की सर्वोच्च अदालत जीत और हार के आधार पर अपने फैसले बदल सकता है.

इसके साथ ही शाह ने  शराब नीति मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर कहा, ”मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. लेकिन इसे थोड़ा स्पष्ट करना चाहूंगा. दरअसल यह क्लीन चिट नहीं है.  आरोपपत्र अभी भी सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है, अगर उन्हें इतना भरोसा था, तो उन्हें सत्र न्यायालय के समक्ष इसे रद्द करने की प्रार्थना करनी चाहिए थी.”