November 25, 2024

रायबरेली पर क्या होगा राहुल गांधी का फैसला? आज मिल सकता है बड़ा संकेत

उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में कांग्रेस ने अपनी पकड़ बरकरार रखते हुए अमेठी सीट बीजेपी से छीन ली है. अमेठी से गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा विजयी हुए हैं, जबकि राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट के साथ रायबरेली से भी चुने गए हैं. इस बार राहुल गांधी को वायनाड से अधिक रायबरेली में बड़ी जीत मिली है. राहुल गांधी मंगलवार को अपनी मां सोनिया गांधी और बहन प्रियंका गांधी के साथ रायबरेली पहुंच रहे हैं, जहां वे मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताएंगे. इस अवसर पर राहुल गांधी रायबरेली सीट को लेकर महत्वपूर्ण सियासी संकेत भी दे सकते हैं.

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक जीत

आपको बता दें कि इस बार कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 15 साल के बाद बड़ी जीत मिली है. 2014 में दो और 2019 में केवल एक सीट पर सिमट जाने वाली कांग्रेस ने इस बार छह लोकसभा सीटें जीतने में सफलता पाई है. कांग्रेस ने अमेठी सीट पर बीजेपी की स्मृति ईरानी को हराकर हिसाब बराबर कर लिया है. इस जीत के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार पहली बार क्षेत्र के मतदाताओं और कार्यकर्ताओं का आभार जताने का आयोजन कर रहे हैं. यह कार्यक्रम राहुल गांधी के रायबरेली से सांसद बने रहने के संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है.

रायबरेली में आभार समारोह

वहीं रायबरेली के भुएमऊ गेस्ट हाउस में होने वाले आभार समारोह में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, रायबरेली के सांसद राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, अमेठी सांसद किशोरी लाल शर्मा, उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे. इससे पहले किशोरी लाल शर्मा ने अमेठी में आयोजित समारोह में पार्टी नेताओं का आभार जताया है. अब राहुल गांधी अपनी मां और बहन के साथ रायबरेली पहुंच रहे हैं, जहां पर आभार जताने के साथ-साथ पार्टी एकजुटता का संदेश देंगे.

रायबरेली या वायनाड, क्या राहुल छोड़ेंगे वायनाड सीट?

राहुल गांधी ने इस बार केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से जीत दर्ज की है, लेकिन उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि कौन सी सीट छोड़ी जाएगी. 2019 में राहुल गांधी अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़े थे, लेकिन अमेठी से हार गए थे. इस बार उन्होंने वायनाड के साथ-साथ रायबरेली सीट से भी चुनाव लड़ा और दोनों सीटों से जीते. राहुल गांधी रायबरेली सीट पर वायनाड की तुलना में ज्यादा वोटों से जीते हैं, इसलिए संभावना है कि वे रायबरेली सीट को अपने पास रख सकते हैं.

कांग्रेस की रणनीति और चुनौतियां

कांग्रेस ने इस बार सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और 17 सीटों पर मैदान में उतरी. इस गठबंधन में कांग्रेस को छह सांसदों की जीत हासिल हुई है. कांग्रेस का वोट शेयर भी 6.36% से बढ़कर 9.46% पर पहुंच गया है. कांग्रेस ने प्रयागराज, सहारनपुर और सीतापुर लोकसभा सीटों पर करीब चार दशक बाद जीत दर्ज की है, जबकि बाराबंकी में 2009 के बाद वापसी की है. रायबरेली में राहुल गांधी को 66.17% वोट मिले हैं, जो 2019 में सोनिया गांधी को मिले 55.80% वोटों से अधिक हैं.

राहुल गांधी के लिए भविष्य की चुनौतियां

आपको बता दें कि भुएमऊ गेस्ट हाउस में आभार कार्यक्रम के जरिए राहुल गांधी रायबरेली से सांसद बने रहने का संदेश देंगे. उन्हें 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. रायबरेली में कांग्रेस के संगठन को मजबूत करना और जनता के वादों पर खरा उतरना बड़ी चुनौती है. जिले के लोगों के सीधे संपर्क की आस को भी पूरा करना होगा. कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं की सक्रियता बनाए रखना चाहती है और यह आभार कार्यक्रम उसी रणनीति का हिस्सा है. राहुल गांधी का सियासी प्रयोग कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में नई दिशा देने की रणनीति है.