राष्ट्रपति के संबोधन ने देश की प्रगति और सुशासन का रोडमैप पेश किया..’, महामहिम के अभिभाषण पर बोले पीएम मोदी
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संसद के दोनों सदनों में दिए गए संबोधन ने प्रगति और सुशासन का रोडमैप पेश किया। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया और राष्ट्रपति के संबोधन को व्यापक बताया। उन्होंने कहा कि इसमें भारत द्वारा की जा रही प्रगति और भविष्य की संभावनाओं को शामिल किया गया है।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा कि, “संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति जी का संबोधन व्यापक था और इसमें प्रगति और सुशासन का रोडमैप प्रस्तुत किया गया। इसमें भारत द्वारा की जा रही प्रगति और भविष्य की संभावनाओं को शामिल किया गया। उनके संबोधन में कुछ प्रमुख चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया, जिन्हें हमें अपने नागरिकों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से दूर करना होगा।” केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि राष्ट्रपति ने एकजुटता का संदेश दिया, देश को आगे बढ़ाने का और 2047 तक हम इसे कैसे विकसित देश बना सकते हैं, इस पर बात की। यह एक बहुत अच्छा, सकारात्मक संदेश है और यह एक विशेष अवसर है। उन्होंने एक स्पष्ट दृष्टि और एक स्पष्ट मार्ग निर्धारित किया है। हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएँ मजबूत हैं। हमें उन पर गर्व है। हमें उन पर विश्वास है।”
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि, “उन्होंने चुनाव आयोग की शानदार भूमिका, आम लोगों के मतदान करने के तरीके, महिलाओं द्वारा अपनी पसंद की सरकार और प्रतिनिधि के लिए मतदान करके अपना भविष्य तय करने के तरीके के बारे में बात की।” केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार के फैसलों का जिक्र है। नई योजनाएं बजट के जरिए आएंगी, लेकिन विपक्ष द्वारा इसकी आलोचना करने का कोई मतलब नहीं है। राष्ट्रपति का अभिभाषण अच्छा था, विपक्ष के आरोपों में कोई तथ्य नहीं है।”
इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने गुरुवार को देश को भरोसा दिलाया कि आगामी संसद सत्र में केंद्रीय बजट के दौरान बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसले और ऐतिहासिक कदमों की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा था कि, “देश में छह दशक बाद पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार बनी है। लोगों ने तीसरी बार इस सरकार पर भरोसा जताया है। लोगों को पता है कि केवल यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है। 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक है। इस लोकसभा का गठन अमृत काल के शुरुआती वर्षों में हुआ था। यह लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 56वें वर्ष की भी साक्षी बनेगी।