राहुल गांधी के बयान पर बड़ा फैसला ले सकते हैं लोकसभा स्पीकर, ओम बिरला से मिले अमित शाह
18वीं लोकसभा का पहला सत्र जारी है. इस बीच विपक्ष का नीट और यूजीसी नेट परीक्षा को लेकर सरकार को लगातार घेरने की कोशिश कर रहा है. बीते शुक्रवार को भी संसद में विपक्ष ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. जिसके चलते संसद के दोनों सदनों में व्यवधान हुआ. इस बीच इंडिया गठबंधन ने इस सत्र के बाकी बचे तीन दिनों में चर्चा में भाग लेने का फैसला किया है. इस बीच लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के पद को लेकर सरकारी पदाधिकारियों ने विपक्ष की आवाज उठाई. लोकसभा में ये पद पिछले पांच सालों से खाली है.
इसी के साथ सदन में स्पीकर के चुनाव के बाद अब सत्ता पक्ष और विपक्ष डिप्टी स्पीकर के पद के लिए आमने-सामने आ गए हैं. विपक्ष ने भी डिप्टी स्पीकर के पद के लिए अपनी दावेदारी रखनी शुरू कर दी है. जिसे लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और ममता बनर्जी के बीच फोन पर बात होने की खबर है. सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अयोध्या से समाजवादी पार्टी सांसद अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने का प्रस्ताव रखा है. बता दें कि अवधेश प्रसाद दलित समुदाय से आते हैं. इससे पहले वह अयोध्या से विधायक थे.
बता दें कि लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलने की परंपरा रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि अवधेश प्रसाद बीजेपी के लिए एक मुश्लिक भरा प्रस्ताव हैं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक गैर कांग्रेसी विपक्षी उम्मीदवार का नाम आगे रखा है. आमतौर पर सत्ता पक्ष के पास लोकसभा स्पीकर का पद होता है, जबकि विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाता है. हालांकि 1990 से लेकर 2014 तक डिप्टी स्पीकर का पद भी सत्ता पक्ष के पास रहा. जबकि 2019 से 2024 तक लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहा है.
लोकसभा के उपसभापति के पास अध्यक्ष के बराबर ही विधायी शक्तियां होती हैं. इसके अलावा उपसभापति मृत्यु, बीमारी या किसी अन्य कारण से अध्यक्ष की अनुपस्थिति में प्रशासनिक शक्तियां भी संभालता है. इसके साथ ही एक जवाबदेह लोकतांत्रिक संसद चलाने के लिए सत्ता पक्ष के साथ ही किसी अन्य पार्टी से लोकसभा का उपाध्यक्ष चुनना संसदीय परंपरा रही है. लेकिन पिछले पांच साल से खाली पड़े इस पद को इस बार भी भरने के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि 18वीं लोकसभा में भी यह पद भरा जाएगा या नहीं. गौरतलब है कि 17वीं लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद खाली था. जो आजादी के बाद पहली बार हुआ था.