छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति तहसील इकाई का राजिम में दीपावली मिलन समारोह संपन्न
रात के गोरसी दिन के भुर्रीतोर सुरता आथे ना डॉ रमेश सोनसायटी
राजिम 18 नवंबर। स्थानीय साहू छात्रावास में छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति तहसील इकाई राजिम का दीपावली मिलन समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम में जिले भर के कवि उपस्थित होकर एक से बढ़कर एक कविताएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मशहूर व्यंग्यकार काशीपुरी कुंदन थे। अध्यक्षता तहसील इकाई के अध्यक्ष नूतन लाल साहू ने की। विशिष्ट अतिथि राजिम भक्तिन माता समिति के अध्यक्ष लाला साहू, त्रिवेणी संगम साहित्य समिति के अध्यक्ष मकसूदन साहू बरीवाला, रत्नांचल जिला साहित्य एवं जन कल्याण समिति के अध्यक्ष जितेंद्र सुकुमार साहिर, प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन दिवाकर, वरिष्ठ साहित्यकार मोहनलाल मानिकपन थे। इन्होंने देवी सरस्वती की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम की शुरूआत किया। मंच संचालन करते हुए कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने हास्य चुटकुले एवं चार-चार पंक्ति की टुकड़ी देकर माहौल में रंग भर दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि काशीपुरी कुंदन ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य का उद्देश्य धार्मिक श्रेष्ठता की अपेक्षा मानव मानव में समानता का गुण विकसित करना होता है। हमें बदलते परिवेश के अनुरूप सौंदर्य दृष्टि में भी बदलाव करना ही पड़ेगा। वातावरण परिवेश के अनुसार साहित्य आकार लेता है। पहले अभाव का भी प्रभाव दिखता रहा है आज सुविधाएं बढ़ी है। रचनाकार भी लगातार गरियाबंद जिला का नाम रोशन कर रहे हैं। यह लेखन कला कौशल और मेहनत का परिणाम है। अध्यक्ष नूतन लाल साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के माध्यम से पूरे जिले के कवि एक मंच पर आ गए हैं। गरियाबंद जिले से अच्छे साहित्य निकलकर पूरी दुनिया में फैले और जिले के नाम शीर्ष क्रम पर हो। मेरा हर प्रयास साहित्य की उन्नति एवं विकास पर है। युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य के क्षेत्र में गरियाबंद जिला में लगातार काम हो रहा है। यहां के रचनाकार प्रदेश के अलावा देश और विदेश में भी सम्मानित हो रहे हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।इस मौके पर टीकम चंद सेन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया। पश्चात गरियाबंद के बीएल श्रीवास, कोपरा राधेश्याम सेन, विजय सिंहा, राजेश साहू राज, ओमप्रकाश सिंहा, गोकुल सेन, सुश्री सरोज कंसारी, श्रवण प्रखर, डॉ रमेश सोनसायटी, रामेश्वर रंगीला, प्रहलाद गंधर्व, रोहित साहू, सुनीति साहू इत्यादि ने गीत, गजल, हास्य, व्यंग्य, ओज, नई कविता, श्रृंगार की कविता प्रस्तुत कर देर शाम तक गुदगुदाते रहे। नरेंद्र कुमार साहू पार्थ ने छत्तीसगढ़ी में गीत प्रस्तुत कर समा बांध दिया। डॉ रमेश सोनसायटी ने कविता प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब लागे जाड़ा तात पानी के आथे सुरता। ने खूब तालियां बटोरी। मौके पर उपस्थित सभी कवियों को श्रीफल और अंग वस्त्र तथा प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।