December 20, 2024

तामासिवनी में शिक्षक की मांग पूरी नहीं होने पर नाराज छात्रों और पालकों ने स्कूल में जड़ा ताला

तामासिवनी रायपुर में शिक्षकों की कमी को लेकर लगातार ग्रामीण स्कूल में स्थायी शिक्षक की मांग तीन वर्षों से कर रहे बड़े अधिकारियों के मिला सिर्फ आश्वासन पर नहीं मिला शिक्षक
तामासिवनी । एक तरफ विष्णुदेव साय सरकार शिक्षा नीति 2020 को लेकर नई शिक्षा नीति लागू कर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने के लिए जोर दे रही है जिसमें मोदी की गारंटी और विष्णु का सुशासन पर लोगों का विश्वास बना रहे । लेकिन शिक्षा अधिकारियों और जिला प्रशासन की कुंभकर्णी नींद में होने के कारण गांवों के स्कूलों में व्याप्त अव्यवस्था की आवाज उनके कानों तक पहुंच ही नहीं पा रही है।गांवों के स्कूलों में एक शिक्षक और 40 बच्चों का रेसो है। ऐसे में कैसे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की अपेक्षा पूरी हो सकती है। जो छात्र पहली में वो आज तीसरी कक्षा में पहुंत चुके है, और जो छात्र तब पांचवीं में वो आज आठवी में पहुंच चुके है, लेकिन बीईओ और जिला प्रशासन ने न ग्रामीणों की आवाज सुन पा रहे है और न छात्र-

छात्राओं की परेशानी को समझ पा रहे है। प्राथमिक शाला तामासिवनी स्कूल में टीचर कि मांग लगातार तीन सालों से किया जा रहा था आवेदन पर आवेदन देने के बाद बड़ी मुश्किल से अधिकारियों द्वारा आश्वासन तो मिला पर आश्वासन दिए भी तीन साल बीत गए, किसी भी अधिकारी को दिए गए आश्वासन याद नहीं रहा। थकहार कर कोई तीसरा विकल्प नहीं सूझने पर बीईओ और जिला प्रशासन को जगाने के लिए ग्रामीणों और स्कूली बच्चों ने स्कूल में ताल जडक़र विरोध जताया है। स्कूल में पढऩे वाले बच्चों का कहना है कि क्लास बढऩे के साथ विषय बही बढ़ जाते है मगर तारासिवनी में शिक्षकों की कमी को कई बार बड़े अधिकारियों का ध््यान आकर्षित करने के बाद भी आश्वासन पर आश्वासन ही मिला इश पर कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ा इससे नाराज पालकों और बच्चों ने शाला में ताला जडक़र विरोध जताया है। यह मामला पहले भी भूपेश सरकार में सूर्खियों में आया था, जिस पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने तत्काल स्कूल में शिक्षक भर्ती के आदेश दिए थे जो अब आई गई बात हो गई । नाराज ग्रामीणों को कहना है कि सरकार बेवजह गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा का ढिंढोरा पीट रही है, लेकिन स्थिति आज भी वही है ढांक के तीन पांत। जिन स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हो तो वहां क्या उम्मीद की जा सकती