‘महिलाओं की छाती की नाप लेना अपमानजनक’, जानें हाईकोर्ट ने क्यों कही ये बात…
जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने भर्ती के लिए जिस्म की जांच के दौरान महिला कैंडीडेट में फेफड़ों को जांचने के लिए छाती के माप के मानदंड की निंदा करते हुए कहा है कि यह पूरी तरह से मनमाना और अपमानजनक है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 के तहत प्रदत्त महिला की गरिमा और निजता के अधिकार को ठेस पहुंचाता है।
अदालत ने राज्य के अधिकारियों को फेफड़ों की क्षमता का आकलन करने के वास्ते किसी वैकल्पिक तरीके का इस्तेमाल करने के लिए जानकारों की राय लेने की हिदायत दी है।जस्टिस दिनेश मेहता ने 10 अगस्त के आदेश में राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे विशेषज्ञों की राय लेकर फेफड़ों की क्षमता के वांछित स्तर को निर्धारित करने के लिए किसी वैकल्पिक साधन की संभावना तलाशें, ताकि महिला उम्मीदवारों के इस अनुचित अपमान से बचा जा सके।
जस्टिस मेहता वन रक्षक पद के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा पास करने के बावजूद छाती माप के पैरामीटर पर उनकी अयोग्यता को चुनौती देने वाली तीन महिला उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। हालांकि, हाईकोर्ट ने एम्स के मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट के आधार पर उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं और उन्हें अयोग्य घोषित करने के भर्ती एजेंसी के फैसले को बरकरार रखा।