‘न्याय इतना महंगा न हो कि आम आदमी से दूर हो जाए’, नए कोर्ट भवन का शिलान्यास कर बोली राष्ट्रपति मुर्मू
जबलपुर: बुधवार को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मध्यप्रदेश के दौरे पर हैं। द्रौपदी मुर्मू प्रातः इंदौर में आयोजित समारोह के पश्चात् जबलपुर में नए हाईकोर्ट भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में सम्मिलित होने आई हैं। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का बुधवार को शाम 4 बजे स्वागत किया गया। मुर्मू भारतीय वायुसेना के विमान से इंदौर से डुमना हवाईअड्डे पहुँची थी। हवाईअड्डे पर राष्ट्रपति की आगवानी राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की। पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया गया।
मुर्मू ने कहा कि यह भवन समय की मांग है। मुझे बताया गया है कि नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा, इसमें न्यायाधीशों तथा मुख्य न्यायाधीशों के कोर्ट रूम, कांफ्रेंस रूम, वकीलों के लिए, महिला अधिवक्ताओं के लिए भी एक अलग रूम प्रस्तावित है। महिला का सशक्तिकरण भारत के लिए महत्वपूर्ण है। न्याया पालिका भी समाज का ही हिस्सा है, इसीलिए मुझे लगता है कि यहां भी महिलाओं की समुचित भागीदारी होना चाहिए। महिला में न्याया करने का नैसर्सिंग भाव होता है। इसलिए कहा जाता है कि एक मां अपने बच्चों के बीच पक्षपात नहीं करती। न्याय देने की प्रक्रिया किसी गणीतीय सूत्र के अनुसार नहीं है। इसलिए न्याय व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी भी न्यायपालिका में हितकारी होगी। मूर्मू ने जबलपुर न्यायालय के एक केस का जिक्र भी किया, जो आज भी याद किया जाता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि न्याय पालिका का न्याय इतना महंगा न हो जाए कि यह आम आदमी से दूर हो जाए। इसके लिए संस्थागत प्रयासों को मजबूती देने की आवश्यकता है। इस विश्वास के साथ जो न्याय भवन बनकर तैयार हो जाए तो न्यायाधीश, वकील और कर्मचारी मिलकर अपने कर्तव्यों के निर्वाहन करने की नई ऊर्जा देगा। राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि ऐसे जो छोटे-मोटे अपराध में जेल में बंद है, उनके लिए न्याय पालिका एवं पुलिस के लोगों को सोचना चाहिए एवं समाधान का रास्ता निकालना चाहिए। यह पंच परमेश्वर का देश है। मेरा मानना है कि विवादों के समाधान की व्यवस्था को और मजबूत करना चाहिए। इससे न्यायपालिका का बोझ भी कम होगा। मुर्मू ने कहा कि आज का शिलान्यास एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं उच्च न्यायालय के पदाधिकारियों को बधाई देती हूं। आज न्याय पालिका के सामने लंबित मामले, अंडर ट्रायल जैसे मामले हैं। एक अनुमान के मुताबिक, देश की निचली अदालतों में साढ़े 4 करोड़ केस लंबित है। इनमें से कई तो 20 से 30 वर्षों से लंबित है। मुझे बताया गया है कि लंबित प्रकरणों को निपटाने के लिए मध्यप्रदेश में विशेष अभियान शुरू किया गया है।