भोंगापाल बौद्ध चैत भूमि पर 2587 व बोद्ध जयंती धूमधाम से मनाया
*शिक्षा का ध्यान केंद्र और सड़क मार्ग सुधारने की छत्तीसगढ़ शासन को अपील की*
कोंडागांव बौद्ध चैत्र भूमि ग्राम पंचायत भोगांपाल विकासखंड फसगांव जिला कोंडागांव व नारायणपुर,कांकेर तिनो जिले पर सिमा पर स्थित है।भोंगापाल बौद्ध क्षेत्र भूमि मेला की तरह कार्यक्रम आयोजित कीजिए है। भोंगापाल बौद्ध समिति व नारायणपुर बौद्ध समाज समिति के मार्गदर्शन पर बौद्ध मेला आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि प्रदेश बौद्ध महासभा के संरक्षक महादेव कवरे, और विशेष अतिथि झाड़ुराम सलाम, पूर्व विधायक सेवक राम नेताम, रूपचंद सलाम, कमलजीत आहूजा सिख समाज जिला अध्यक्ष,और बाबा साहेब सेवा संस्था के पदाधिकारी भी मौजूद थे अतिथियों को आदिवासी वेशभूषा में निरर्थक दल के द्वारा स्वागत किया गया।जिसमें ज्ञानबोधी भंते और अतिथियों के द्वारा तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष परित्राण पाठ कर पंचशीलों झंडा रोहण किया गया और उपसीका उपासको के द्वारा खीर दान भोजन दान कराया गया। वैशाख पूर्णिमा 23 मई को होगी, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाई जाएगी। यह बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, इसे बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस कार्यक्रम में उद्बोधन आयोजित की गई अतिथि के रूप में पूर्व विधायक सेवक राम नेताम ने कहा कि भारत देश में हर वर्ग के निवासरत हर धर्म के लोग भी निवासरत हैं जो हमारे धर्म के के प्रति आस्था है और अलग-अलग मानने वाले भी है।बुद्ध धर्म इसाई धर्म मुस्लिम धर्म से पहले का बुद्ध मीय धर्म था। और नारायणपुर बौद्ध समिति के अध्यक्ष ने कहा कि बौद्ध चैत भूमि भोंगापल में तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा है ।छठवीं शताब्दी में यहां आना यह बताता है कि बस्तर संभाग बौद्धिक विचारधारा से रहा होगा बुद्ध विचरण कर रहे थे तब बुद्ध के शीश भी विचारण रहे होंगे तभी बुद्ध का चरण इस मार्ग से गुजरे होंगे ऐसा हम सब अनुमान लगा रहे हैं। और छठवीं शताब्दी में बौद्ध बिच्छू के द्वारा और यहां पर आना जाना रह है।बौद्ध चैत ग्रिह का निर्माण करना यह बताता है कि निश्चित रूप से बौद्ध काल में या बस्तर संभाग भी बौद्धिक विचारों से अभी बहुत रहा होगा भलीभूत रहा होगा यहां पर भी बौद्ध धर्म की बड़ी विचारधारा उनके विचार यहां पहले होंगे उनके बुद्ध के संदेश को मानने वाले लोग भी उसे कल में यहां रहे होंगे और इसके कारण यह क्षेत्र विकसित हुआ यहां पर शिक्षा का ध्यान का जिसे आधुनिक समय में हम लोग विपश्यना के रूप में भी जानते हैं निश्चित रूप से यह बौद्ध काल का बड़ा ध्यान केंद्र भी रहा होगा ऐसा हमको लगता है। पुरातत्व और संस्कृति विभाग इस दिशा में लगातार कार्य कर रहा है।सन 1990/ 91 में जब इसका उत्खनन हुआ उसके बाद से लगातार बौद्ध धर्म के विचारक बौद्ध धर्म को मानने वाले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्था के दो यहां पर आए हैं भारत देश में भी कथन वर्तमान की मानने वाले लोग इतिहासकार साहित्यकार यहां पर आए हैं। और उन्होंने इस होगा पल की पावन धरा जिसे हम सब बाते भूमि के नाम से भी जानते हैं यहां पर आकर उन्होंने इसका इसको देखा इसको जाना है हम छत्तीसगढ़ सरकार से भी या अनुरोध करते हैं भारतीय अनुरोध करते हैं कि वह इस ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक जगह को उसका और ज्यादा विकास करें यहां पर इसका एक अच्छी बाउंड्री वॉल करें यहां पर शिक्षा के केंद्र के रूप में इसको डेवलप करें यहां पर ध्यान केंद्र शिक्षा केंद्र यहां पर इसकी स्थापना होना चाहिए और साथ ही साथ यहां की आवागमन को यहां पर जानेके लिए सड़कों का निर्माण करें ताकि विश्व में बुद्ध को मानने वाले दोस्त लोग यहां पर आ सके हमें गर्व होता है किस देश के प्रधानमंत्री जब विदेश में जाते हैं तो बड़े गर्व से वह कहते हैं कि मैं बुद्ध के देश से आया हूं बुद्ध का संदेश सदैव उसकी महत्व बरकरार रहेगी बुद्ध के संदेशों को हमेशा उतना ही महत्व मिलेगा जितना पुरातन काल में मिला है बुद्ध के काल में और बुद्ध के कल के बाद भी बुद्ध के संदेश और उनके मैतरी करुना का संदेश वह लोगों को देते रहे। इस कार्यक्रम में भंते ज्ञानबोधी, अनिल खोबरागड़े बुद्ध समिति अध्यक्ष, मनोज बागडे,उमेश रावत, मनीष ठावरे, नवीन महाजन, प्रमोद डोंगरे, गौतम रंगारी, कमलजीत आहूजा, पंकज, ग्राम भोंगापाल के बौद्ध समिति अध्यक्ष फूल सिंह कोर्राम संतोष सलाम, रसोराम नाग, एवं बाबा साहेब सेवा संस्था के मुख्य सलाहकार पी पी गोंडाने, अध्यक्ष मुकेश मारकंडेय, रमेश पोयाम, पुष्कर सिंह मांडवी,भुवन लाल मार्कंडेय, रमेश, पंचूराम ध्रुव, वह ग्रामवासी व उपासक उपाशीका उपस्थित रहे।